बादशाह मसाला बिजनेस : Success Story

बादशाह मसाला बिजनेस : Success Story

1958 : एक शुरुआत जो बेहद कामयाब हुई

स्वागत है आपका chauchakkhoj.com पर। आज हम जानेंगे बादशाह मसाले की Success Story। बात शुरू होती है 1958 से, जब जवाहरलाल जमुनादास झवेरी ने मुंबई में साइकिल पर सवार होकर गरम मसाला और चाय मसाला बेचना शुरू किया। उनके पास कोई बड़ा ऑफिस या कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं थी। उनका बस एक ही मकसद था कि वह लोगों तक शुद्ध स्वाद का मसाला पहुंचाएं ।

जवाहरलाल जमुनादास झवेरी

घाटकोपर से उमरगाम तक

उनके मसाले को लोगों ने काफी पसंद किया। जवाहरलाल जी कहते हैं कि अगर चीज अच्छी हो, तो सफलता दूर नहीं, और यह बात सच साबित हुई। उनका छोटा सा काम अब मुंबई के घाटकोपर में एक छोटी सी यूनिट बन गया, जिसे जल्द ही उमरगांव (गुजरात) में 6000 वर्ग फुट के बड़े प्लांट में विस्तारित किया गया। इसके तुरंत बाद, जवाहरलालजी ने पाव भाजी मसाला, चाट मसाला

और चना मसाला जैसे नए मसाले लोगों तक पहुंचाऐ। बादशाह मसाले को और ऊंचाइयों तक पहुंचा ते हुए, साल 1996 में उनकी मौत हो गई। उसके बाद उनके बेटे हेमंत झवेरी ने अपने पिता के सपने को एक नई ऊंचाई दी और बादशाह मसाले को पूरे देश में फैलाने पर ध्यान दिया।जिसका रिजल्ट यह हुआ कि आज बादशाह मसाला देश के कोने-कोने तक पहुंच चुका है।

यह कहानी बताती है कि अगर आप मेहनत से और सच्चे मन से अगर आप किसी कार्य को करते है, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

हालांकि 2025 के लिए बादशाह मसाले के सटीक टर्नओवर को बताना मुश्किल है, लेकिन डाबर इंडिया ने 2022 में कंपनी में 51% हिस्सेदारी हासिल कर ली है, जिसका लक्ष्य 3 वर्षों में खाद्य व्यवसाय को 500 करोड रुपए तक विस्तारित करना और ब्रांडेड मसालों और मसाला बाजार मैं प्रवेश करना है, जिसका मूल्य 25,000 करोड रुपए से अधिक है।

धिक जानकारी विवरण:

  • डाबर का अधिग्रहण:

    2022 में, डाबर इंडिया ने बादशाह मसाला में 51% हिस्सेदारी 587.52 करोड़ रुपए में खरीदी, जिसमें बादशाह उद्यम का मूल्य 1,152 करोड़ रुपए है। डाबर का अधिग्रहण तीन वर्षों में अपने खाद्य व्यवसाय को 500 करोड़ रुपए तक विस्तारित करने और खाद्य क्षेत्र में प्रवेश करने के अपने रणनीतिक इरादे से जुड़ा हुआ है।

  • बाजार में प्रवेश:

    बादशाह के माध्यम से, डाबर ने भारत में ब्रांडेड मसालों और मसाला बाजार में प्रवेश किया, जिसका मूल्य 25,000 करोड़ रुपए से अधिक है।

  • भविष्य का विकास:

    डाबर अपने वितरण नेटवर्क का उपयोग करके बादशाह मसाले की पहुँच का विस्तार करने की योजना बना रहा है, विशेष रूप से भारत के पूर्व, दक्षिण और उत्तरी क्षेत्रों में।

  • अंतर्राष्ट्रीय विस्तार:

    डाबर बादशाह को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों, विशेष रूप से यूके और यूएस के लिए एक संभावित ब्रांड के रूप में भी देखता है।

  • बादशाह का फोकस:

    बादशाह पिसे हुए मसालों, मिश्रित मसालों के क्षेत्र में काम करता है।

  • बादशाह  का इतिहास:

    बादशाह मसाला की स्थापना 1958 में हुई थी और यह एक परिवार द्वारा प्रबंधित कंपनी है।

  • बादशाह का मेन्युफेक्चरिंग यूनिट :

    बादशाह की दो मेन्युफेक्चरिंग युनिट उमरगाम (गुजरात) में स्थित हैं।

आज, हम बादशाह मसाला को एक भारतीय मसाला उत्पादक के रूप में जानते हैं जो सात दशकों से अधिक समय से देश की सेवा कर रहा है। उनका उद्देश्य वर्षों से एक ही रहा है: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घरों को स्वादिष्ट और सुगंधित मसाले के साथ-साथ आवश्यक पोषण प्रदान करना।

यह सब गरम मसाला और चाय मसाले के साथ शुरू हुआ।  जवाहरलाल जमुनादास झवेरी सिगरेट रखने वाले पुराने डिब्बों में मसाला भरते थे। वे डिब्बों को साफ करते थे और उनमें मसाला भरने से पहले लेबल हटाते थे। फिर वे अपनी साइकिल पर सवार होकर उन्हें बेचने के लिए निकल पड़ते थे।

  • अनुमानतः

    800 डीलर, 25 स्टोर और 450 सेल्स पर्सन के साथ, यह ब्रांड पूरे देश में व्यापक रूप से उपलब्ध है। शहरी और ग्रामीण भारत में अपने नेटवर्क के कारण बादशाह मसाला वास्तव में भारत का मसाला किंग है।

आशा करता हूं कि आपको यह मेरा ब्लॉग अच्छा लगा होगा। अगर इसे लिखने में मुझे कोई गलती हो गई हो, तो आप मुझे फीडबैक दे सकते हैं। मैं उसे सुधारने कि पुरी कोशिश करूंगा।

धन्यवाद

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